अन्न दानं समं दानम् न भूतो न भविष्यति। देवर्षि-पितृ-भूतानां तृप्तिरन्नेन जायते॥ अर्थात अन्नक्षेत्र के समान दान न पूर्व में हुआ है, ना अब है, ना आगे होगा। क्योंकि देवताओं की, देवियों की, पितरों की इत्यादि सर्व की तृप्ति अन्न से ही होती है। अत: स्पष्ट है कि अन्न दान से बढ़कर कोई दान हो ही नहीं सकता। इसलिए पूज्य महाराज जी ने श्रीधाम वृदावन में विचरण कर भक्ति कर रहे साधू-संतों की एवं जरुरतमंदों की सेवा को देखते हुए नित्य जीवनपर्यन्त अन्नक्षेत्र की सेवा करने का संकल्प लिया जिससे आप जैसे दानवीर जुड़कर सफल बना रहे है एवं पुण्य अर्जित कर रहे हैं। इस पुण्यशाली कार्य से आप भी जुड़कर अखण्ड यश और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं।
सृष्टि के प्रत्येक जीव के अन्दर ईश्वर का वास है। ईश्वर की कृपा के बिना इस जगत में कोई भी कार्य सम्भव ही नहीं है। किसको कब और कितना देना है नियति ने पहले ही तय कर दिया है। परन्तु कभी-कभी हम अपने अच्छे कर्मों से प्राप्त पुण्य द्वारा अपने सञ्चित प्रारब्ध की नियति को भी बदल सकते हैं। हाल ही में कोरोना काल के प्रभाव के कारन सृष्टि बहुत प्रभावित हुई। जिसमें हम मनुष्य ही नहीं अपितु अन्य जीव भी अत्यधिक प्रभावित हुए। जिसके चलते भूख-प्यास के कारण बहुत सारे जीव परलोक सिधार गए। जब यह दृश्य महाराज श्री जी ने देखा तो रहा ना गया और अपने पावन प्रकल्पों में ये सेवा भी सन्नद्ध कर ली। और आप जैसे भक्तों को भी तन, मन, धन से इस पथ पर लेकर चल पड़े। आप भी इस सेवा से जुड़कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
अनादिकाल से ही मानव जाति गौमाता की सेवा कर अपने जीवन को सुखी, समृद्ध, निरोगी, ऐश्वर्यवान एवं सौभाग्यशाली बनाती आ रही है। क्योंकि गौमाता एक जीता जागता जाग्रत भगवन ही है जिसके अन्दर सभी देवी-देवताओं का वास होता है और कहते हैं एकमात्र गौसेवा करने से मनुष्य अपनी समस्त मंगलकामनाओं की पूर्ति कर सकता है। बस इसी आस्था के पथ पर पूज्य श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज चलकर गौसेवा कर रहे हैं और स्वयं भी जगत कल्याण के लिए गौ माता से प्रार्थना करते हैं। आप भी महाराज श्री के साथ जुड़कर नित्य गौ ग्रास सेवा का पुण्य कमा सकते हैं।
श्री धाम वृन्दावन की पावन पवित्र भूमि पर पूजे महाराज श्री द्वारा अनेक सेवा प्रकल्प चलाये जा रहे हैं। जिनसे जुड़कर आप पुण्य के भागीदार तो बनेंगे ही साथ ही हमारे “गौरी गोपाल” परिवार के सदस्य भी बन जायेंगे। आप निरंतर चल रहे आश्रम निर्माण कार्य में सहयोग प्रदान कर सकते हैं अथवा किसी भी प्रकार की आश्रम सेवा कर सकते हैं।